Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

आज के रिश्ते

आज के रिश्ते

1 min
638


रिश्ते नाते प्यार को,ले डूबा ये फोन।

सारे इसमें व्यस्त हैं,किसका है अब कौन।


आयु वर्ग सब भूल के,बात करे हैं लोग।

घर पर तन्हा नार है,बाह्य रचा है भोग।


रिश्तों की गरिमा नहीं,बची रही अब शेष।

पूत पिता के सामने,बची शर्म अब लेस।


बातें उनसे वीडियो,जो हैं रहते दूर।

पलट उसे भी देख ले,जो है तुझमें चूर।


घर पैर नहीं टेकते,कहते लाखों काम।

झूठ बता करने चले,शाम किसी के नाम।


जब हरकत को जान के,बीवी होती त्रस्त।

कहती मिंया जाइये,फोन चला के मस्त।


तुम गर धोखेबाज हो,कहे आज की नार।

जाओ अब तुम देखना,मैं भी जोडूँ तार।


पर नातों को जीतने,अपना जाता हार।

अक्ल मगर आती तभी,बचे नहीं जब सार।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy