Shraddhanjali Shukla
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तोड़े जो विश्वास को, वो सुख कैसे पाय।
अपना अपने हाथ ही, खुद संसार मिटाय।।
खुद संसार मिटाय, प्रीत की गली टटोले।
पवित्र प्रेम को छोड़, झूठ के पीछे डोले।।
आपन चातुर मान, नित्य रचे मिथ्य थोड़े।
पट्टी बाँधे आँख में, अपनों का हिया तोड़े।।
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