आल्हा छंद
आल्हा छंद


आज सभी को पता चला है,
जान हथेली वीर रखाय।
नेता डोलें द्वारे द्वारे,
कैसे वोट हमें मिल जाय।
एड़ी चोटी जोर लगावें,
राज गद्दी हमें मिल जाय।
खेल खेलते राजनीति का,
पल पल पैर में गिर जाय।
खड़ा वीर है छाती ठोके।
सोच रहा रक्षा की जाय।
पानी,आँधी ठंडक झेले,
हौंसला मगर नहीं डिगाय।
भारत माँ की रक्षा करते,
वीर सरहदों पर मिट जाय।
बैठ नेशनल टीवी नेता,
सारा श्रेय स्वयं ले जाय।
लेकिन अब ना राज चलेगा,
जनता सारी चतुर दिखाय।
वीर आपके बलिदानों का,
जनता सारी लौह मनाय।
जय होवे भारत के वीरों,
कौन भला तुमसे टकराय।
भारत माँ की लाज बचाने,
देखो वीर जान गंवाय।