मुझे कुछ कहना है
मुझे कुछ कहना है
मैं हर बार यही कह आती हूं
मैं कुछ पूछना चाहती हूं।
मेरे प्रश्न मुझे भूल जाते हैं
जब पास तुम्हारे आते हैं।
केवल मैं, केवल मैं एवं
सर्व विहीन मैं रह जाती हूं।
बातें बहुत कुछ होती हैं,
कहना भी कुछ चाहती हूं।
मगर बिन तेल ही दिया जला आती हूं,
दिया जला आती हूं।
मैं हर बार यही कह आती हूं
मैं हर बार यही कह आती हूं।