इतिहास के पन्नों से
इतिहास के पन्नों से
मिसिंग फिफ्टी फोर सारे देश में मचा शोर
किसी ने न सुनी परिवार वालों की रौर
दर्द व पीड़ा से हाहाकार मचा चहुँ ओर
एक ही प्रश्न कहाँ हैं मिसिंग फिफटी फोर?
सन् 1971 की वह घमासान लड़ाई
पाक की हार, भारत के हिस्से जीत आई
बांग्लादेश के जन्म की खुशी मनाई
पर मिसिंग 54 की कोई खबर न आई।
हमारे फिफटी फोर, उनके पी ओ डब्लयू 93 हजार
शिमला समझौते में पी ओ डब्लयू पहुँचे उस पार
भारतीय करते रहे अपनों के आने का इंतजार
लौट न पाए मिसिंग फिफटी फोर कभी इस पार।
जिंदा शहीद हुए, रिहाई की गुहार लगाई
पाक के सिर जूँ न रेंगी, दी सबने दुहाई
दूसरे देश होने की खबरें भी कई बार आई
मिसिंग फिफटी फोर,आने की घड़ी न आई।
मात- पिता का नूर, सुख, चैन गया
भाई- बहनों का प्यार भी लुट गया
जिंदा पति, बीबी का जीवन बेवा हो गया
मिसिंग फिफटी फोर तो गुमनाम हो गया।
तब से आज तक सरकारी तख्ते बदलते रहे
वापसी के लिए प्रस्ताव पारित होते रहे
आशा निराशा के समाचार आते रहे
मिसिंग फिफटी फोर मिसिंग ही रहे।
जिंदा होने की खबरें आती रही
परिवारों को खून के आँसू रूलाती रही
हमारी दानवीरता भी विफल रही
बदले में मिसिंग 54 बस खबर ही रही।
कब तक करेंगें हम उनका इंतजार
नहीं दे पाई इसका जवाब कोई सरकार
कागजी कार्यवाही सब हो गई बेकार
मिसिंग फिफ्टी फोर केस सटिल बरकरार।
