STORYMIRROR

Burhan kadiyani .

Drama

3  

Burhan kadiyani .

Drama

लहू केसरिया

लहू केसरिया

1 min
302

मेरा लहू केसरिया

मेरा ज़मीर सफ़ेद

सबकी तरक्की हो जहाँ 

वो मेरा हरा भरा भारतदेश


इतिहास है गवाह 

हमने कभी नहीं की चढाई

जब दुश्मन आ खड़ा हुआ 

सिर के करीब तब 


माँ भारती की रक्षा में की लड़ाई

वुज़ू करुँ गंगा के पानी से 

नमाज़ अदा करुँ लगा के 

मिट्टी ए हिंदी पेशानी पे 


हर आरती करुँ भारत माँ की में 

मांगू आशीर्वाद हर दम

सेवा करुँ आपकी में


ये मिट्टी में उगे गेहूं, चावल, वीर 

जिसने बहाया लहू जैसे 

खड़कड़ बेहता नीर

जन्म इसकी मिट्टी में 


बड़ी मन्नत से मिला हैं

सालों की पूर्वजो की 

दुआ का ये सिला हैं


मेरा लहू केसरिया

मेरा ज़मीर सफ़ेद

सबकी तरक्की हो जहाँ 

वो मेरा प्यारा भारतदेश।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama