लहू केसरिया
लहू केसरिया
मेरा लहू केसरिया
मेरा ज़मीर सफ़ेद
सबकी तरक्की हो जहाँ
वो मेरा हरा भरा भारतदेश
इतिहास है गवाह
हमने कभी नहीं की चढाई
जब दुश्मन आ खड़ा हुआ
सिर के करीब तब
माँ भारती की रक्षा में की लड़ाई
वुज़ू करुँ गंगा के पानी से
नमाज़ अदा करुँ लगा के
मिट्टी ए हिंदी पेशानी पे
हर आरती करुँ भारत माँ की में
मांगू आशीर्वाद हर दम
सेवा करुँ आपकी में
ये मिट्टी में उगे गेहूं, चावल, वीर
जिसने बहाया लहू जैसे
खड़कड़ बेहता नीर
जन्म इसकी मिट्टी में
बड़ी मन्नत से मिला हैं
सालों की पूर्वजो की
दुआ का ये सिला हैं
मेरा लहू केसरिया
मेरा ज़मीर सफ़ेद
सबकी तरक्की हो जहाँ
वो मेरा प्यारा भारतदेश।
