टूटा आईना
टूटा आईना
1 min
207
चलो ये किस्सा भी तमाम हुआ
किसी का आना किसी का जाना हुआ!
क्या हिसाब हो की
कौन आबाद या बर्बाद हुआ!
इंसान इतने सालों में कहाँ
इंसान हुआ!
मोहब्बत जिस्से की वो भी
कहाँ अपना हुआ!
अब हर अपना अब गैर से भी
गैर हुआ!
कोई नहीं कुछ कुछ बन पाया!
आखिर में आईना टुकड़े
टुकड़े हुआ बुरहान !
