कोरोना का आघात
कोरोना का आघात
इंसानी तारीख में
ऐसा वक़्त आया
सब होते हुए भी इंसान ने
खुद को बेबस पाया
काबा सूना हो गया
काशी में आरती का
समा थम गया
वेटिकन सुनसान हो गया
मस्जिदों में नमाज़ होना
बंद हो गया
ना रोज़गार, ना खुद का किरदार
ना भविष्य, ना पुराना साल
कुछ रहा ना ज़रूरी
एक संजीवनी, रखो सबसे दूरी
ना सुनना चाहे कोई गीता के श्लोक
ना सुनना चाहे कोई
कुरान की आयत
सबके कान तरसे सुनने को
एक ही बात
ख़तम हो गया,
बर्बाद हो गया कोरोना का आघात
