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Neha Prasad

Romance Tragedy

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Neha Prasad

Romance Tragedy

हसीन ख्वाब

हसीन ख्वाब

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जिसके साथ देखें थे जिंदगी के हसीन ख्वाब,

न जाने अब वह क्यों बदल रहा है,

 

रस्में वादे तो अभी भी निभाता है वो, पर न जाने क्यों साथ हो कर भी साथ नहीं लग रहा है।


मेरे शिकायतें, इच्छाओं और ख्वाबों का करूँ क्या ही इजहार?

मेरी चुप्पी को ही वो अच्छा समझ रहा है।


शायद नहीं हूँ मैं उसकी और न वो मेरा है,

जानता है वो बस ख्वाब है यह एक हंसी,

फिर भी जाने क्यों मुझे अपना कह रहा है।


मैं चली जिन राहों पर, अकेली ही थी हर कदम,

पूछें गर तो कहता है कि साथ चल तो रहा है।


किस किस को समझाएं यहाँ, या किससे हाल-ए- दिल कहें,

सवाल तो यह है जिसे समझना चाहिए क्या सच में वो तुम्हें समझ रहा है?

जिंदगी में उसका साथ था एक हसीन ख्वाब, पर न जाने क्यों अब यह ख्वाब बदल रहा है।



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