बेटी की पुकार
बेटी की पुकार
माँ कर दो मुझपर उपकार,
मत मारो मुझको देखने दो न यह संसार।
जब मैं ही न होगी तो तुम भैया को राखी किससे बंधवाओगी?,
सोचो जरा, माँ अगर ऐसे ही मरती रही कोख में बेटियां तो सुन्दर सी बहु कहाँ से लाओगी?
मत डरो मेरे लिए माँ, इस दुनियाँ से,
कोई छूकर भी दिखाए मैं दुर्गा रूप धर उसका काल बन जाऊंगी।
एक मौका तो दो माँ मुझे, मैं आपके सपने भी सच कर जाऊंगी,
पापा को भी समझाओ न माँ, मैं उनका अभिमान भी बन दिखाऊंगी।
आने दो न माँ इस दुनिया में, मै भी एक नन्ही जान हूँ,
सिर्फ भाई ही नहीं मैं भी तो आपकी ही सन्तान हूँ।
मैं न होगी तो माँ घर कैसे महकाओगी, मेरे बिना माँ तुम कितनी अकेली पड़ जाओगी,
मुझे जन्म न दिया तो माँ "मेरी लाडो" किसे कहकर बुलाओगी।
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