रुठकर चला गया
रुठकर चला गया
एक पल हंसना चाहती थी मै,
तू मुझे क्यूँ छोड गया?
इश्क की महेफ़िल सजाई थी मैने,
तू मुझसे दूर क्यूँ चला गया?
तेरे इश्क के सागर में मुझे,
नदियाँ बनकर मिलना था,
मिलन मेरा अधूरा छोडकर,
तू मुझसे रुठकर चला गया?
तेरे दिल में बसी हुई थी मै,
तू धडकन का ताल मिलाता था,
धडकन के ताल बेताला बनाकर,
तू मुझे विरह दे कर चला गया?
प्यार से तुझको समजा रही थी मै,
तू बात दिल की न समज शका,
राई का पर्वत बनाकर "मुरली",
तू नफरत की आग में जला गया।

