मुबारक हो
मुबारक हो
एक ही पेड़ के फूल,
अलग अलग साखाओ में बट गए !
कोई CAA के साथी तो कोई विरोधी हो गए !
अपने ही घर में अपने बेनिगरे हो गए !
भरे दिन में एकता के मोती बिखर गए !
खुद को हिंदू, मुसलमान में बांटने वाले
एक कदम आगे बढ़ गए !
अब देशभक्त और देशद्रोही के नामोे से
एक दूसरे को पुकारने लग गए !
हम हिंदुस्तानी आज एक बार फिर बँट गए !
1947 का साल फिर से जी गए !
हमारी नफरत में हमारे बच्चे भी शामिल हो गए !
मुबारक हो वो डॉक्टर, सैनिक नहीं
सच्चे हिन्दू, मुसलमान बनने रवाना हो गए !
