एक कर दू!
एक कर दू!
केसरिया, हरा, सफ़ेद तीनो रंगों को एक साथ कर दूं
सारे हिंदुस्तानियों के चेहरे पे उसको मल
सब को एक साथ कर दूं
ना रहे कोई केसरिया
ना रहे कोई हरा
एक ही रंग में रंग सबको एक सा कर दूं।
ले चलूं सबको वहाँ जहा सूरज निकलता है
ले चलूं वहा जहाँ ज्ञान का दीपक जलता है
दिखाऊं उनको तरक्की की रोशनी!
दिखाऊं उनको कुदरत की खूबसूरती!
एक ही रंग में रंग सबको एक सा कर दूं।
ले चलूं सबको पहाड़ो में जहा इंद्रधनुष निकलता है
ले चलूं वहा जहा सब गुलों के मिलन से बागान खिलता है
दिखाऊं उनको सब रंगों की रंगीनियत!
दिखाऊं उनको सब गुलों की सजावट!
एक ही रंग में रंग सबको एक सा कर दूं।
ले चलूं वहा जहा सारी नदियों से दरिया बनता है
ले चलूं वहा जहा सितारों से मिलने से नक्षत्र बनता है
दिखाऊं उनको सब नदियों की धारा का पानी
दिखाऊं उनको सब तारों की रोशनी के लिए दीवानगी
एक ही रंग में रंग सबको एक सा कर दूं।
