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Burhan kadiyani .

Abstract

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Burhan kadiyani .

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गाँधी का ईमान

गाँधी का ईमान

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ए सुनो लोगो

थोड़ी देर अपने कामों को छोड़ो

अपने सिर से दक्यानुसी ख्यालों की बेड़िया तोड़ो

अपने भ्रष्ट मन को मासूम से दिल से जोड़ो

और सुनोे मेरी बात, 

"चलो, हाथ से हाथ मिलाते हैं


 साथ मिल गाँधी का ईमान लाते हैं

 कोने कोने में सच की मशाल जलाते हैं

 हर तरफ सादगी की कालीन बिछाते हैं

 कोने कोने में सच की मशाल जलाते हैं

 तरक्की को अपनी प्रार्थना बनाते हैं

 मिल के मोहब्बत के गीत गाते हैं

 

चलो, 

 साथ मिल गाँधी का ईमान लाते हैं

 अपने दिलो में आशा के दीये जलाते हैं

 एकरूपता के मोती सब में बाटते हैं

 अकेले नहीं साथ में रास्ता काटते हैं


 चलो, 

 साथ मिल गाँधी का ईमान लाते हैं।


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