अर्थ
अर्थ
कलयुग से ही ये गाथा है,
बहन के सिर एक भ्राता है,
वफा करो पुरूष से पर भी,
वो तेरी इज्जत कहाँ
संभाल पाता है,
भाई तो एक ही पुकार
अपना सर्वस्व हार जाता है,
ना समझ सकेगा
कोई पुरूष कमजोर,
और भाई बलवान
कैसे बन जाता है,
बीवी पर जो जोर चलाए
ऐसा पुरूष क्यो जन्मा है
बहन की जो लाज बचाए
भाई है पर पुरूष कहाँ है।
