कुछ कहानी बन गई है
कुछ कहानी बन गई है
कुछ कहानी बन गई है
कुछ कहानी बाकी है
जिंदगी कुछ सो गई है
कुछ कहीं अब जागी हैं
पत्थरों से पत्थरों को
तोड़ना जरूरी भी हैं
मन से मन का खेल में
कुछ जीतना कुछ हारना हैं
कुछ कहानी बन गई है
कुछ कहानी बाकी है
सांसों को फुर्सत मिले तो
जीवन का मूल्य मालूम पड़े
क्या है सत्य, क्या असत्य
इसका कुछ एहसास होए
कुछ कहानी बन गई है
कुछ कहानी बाकी है
क्या कहूं मैं रास्तों से
जो कभी न भटकाती
सीखने और जूझने का
हौसला हमें नहीं देती
है सभी से पार पाना
मुसीबत भी ढेरों खड़ी
देश में है अनेक भेष
उसमें ही कुछ सही
और कुछ गलत है
अब चुनना उनमें,
कुछ को हमें ही है
जब चुन लिए तो,
अफसोस कैसा ?
और जब ठुकरा दिए,
फिर शोर कैसा ?
कुछ कहानी बन गई है
कुछ कहानी बाकी है।
