देश के वीर जाबाज़
देश के वीर जाबाज़
वो शान से खड़े हैं वो सीना तान के खड़े हैं
वो मेरे वीर जाबाज़ देश की सुरक्षा के लिए
अपनी जान कुर्बान करने के लिये खड़े हैं.
दुश्मनों को हर एक वार का जवाब देने को खड़े है
दिल में हिंदुस्तान को रखें
वो हर जंग लड़ने को तैयार खड़े हैं
वो मेरे वीर जाबाज़ देश की सुरक्षा के लिए
अपनी जान तक कुर्बान करने के लिये खड़े हैं
हर उत्सव ,प्रसंग को माँ भारती की रक्षा के लिए अर्पित करने को खड़े हैं
हर एक देशवासी हर त्योहार ख़ुशी से मना पाए उसके लिए
शिखर की चोटी पे खड़े हैं
रेगिस्तान के रणो में खड़े हैं
सरहदों की धूप में खड़े हैं
वो मेरे वीर जाबाज़ देश की सुरक्षा के लिए
अपनी जान कुर्बान करने के लिये खड़े हैं
गोलियों से वो दीवाली मनाते हैं और
लहू से होली खेलतें हैं
तिरंगे पर अपना प्रेम बताई
अपने को इसमें लपेट के अपनों के पास आतें हैं
वो मेरे वीर जाबाज़ देश की सुरक्षा के लिए
अपनी जान कुर्बान करने के लिये खड़े है
देशवासियों को अपनों से करीब रखने के लिये
वो अपनों से दूर सरहदो पे डटकर खड़े हैं
वर्दी में सैनिक औऱ मरने के बाद शहीद कहलाते हैं
वो मेरे वीर जाबाज़ देश की सुरक्षा के लिए
अपनी जान कुर्बान करने के लिये खड़े हैं
अपने परिवार की चिंता छोड़
वो सारे देश के परिवार की चिंता रखते हैं
वो शान से खड़े हैं वो सीना तान के खड़े हैं
वो मेरे वीर जाबाज़ देश की सुरक्षा के लिए
अपनी जान कुर्बान करने के लिये खड़े हैं
कड़वा चौथ जैसे प्रसंग में नाही वो अपनी पत्नी के पास
राखी जैसे त्योहार पर नाही अपनी बहन के पास
बेटी के जन्म के वक्त नाही अपनी लाड़ली के पास जा पाते हैं
नाही माँ पिता के बुढ्ढे वक़्त का सहारा बन पाते हैं
क्योंकि वो मेरे वीर जाबाज़ देश की सुरक्षा के लिए खड़े हैं.
वो शान से खड़े हैं वो सीना तान के खड़े हैं.