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रंजना उपाध्याय

Drama

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रंजना उपाध्याय

Drama

काबिलियत

काबिलियत

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हम दरिया हैं हमें अपना काबिलियत मालूम है

जिस गली मे चलेंगे खुद व खुद रास्ता हो जाएगा। 


मैं जहाँ भी रहूँ बस मेरे अंदर इंसानियत बस जाए

इस फरेबी दुनिया से पाप, दोष, दुष्कर्म सब भाग जाए। 


अपनी मंजिल को ढूढ़ते कुछ आगे निकल न जाऊँ

इस माया रूपी भवसागर में मैं कहीं खो न जाऊँ।


व्यथित मन है तो किसी की कोई बात अच्छी नही लगती है

सबको जो मुझसे नजरें चुराते हैं, मैं भी दरकिनार करती हूँ।


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