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Indraj meena

Drama

3  

Indraj meena

Drama

ये खिड़कियाँ

ये खिड़कियाँ

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रात के पहर में अक्सर

ये खिड़कियाँ

रूह कँपा देती हैं,


शाम के पहर में अक्सर

ये खिड़कियाँ

आँखें मिला देती हैं।


इन खिड़कियों में मैंने

इश्क का आशियाना

भी बनते देखा है,


कुछ घरों को धीरे से

इन खिड़कियों से

भी उजड़ते देखा है।


किसी की तन्हाई का

आलम भी बन जाती है

ये खिड़कियाँ,

अब अक्सर धीरे धीरे

पर्दों से ढक जाती है

ये खिड़कियाँ।


घर में घुटन से हमें

महफूज भी रखती है

ये खिड़कियाँ,


उम्मीदों को नए सिरे से

पंख लगाती है

ये खिड़कियाँ।


सावन की रिमझिम में

विरह वेदना का

आभास कराती है

ये खिड़कियाँ,


साँझ ढले नित रोज

अपने प्रियतम का

इंतज़ार कराती है

ये खिड़कियाँ।


इन खिड़कियों ने

अक्सर इतिहास को

भी बदलते देखा है,

इन खिड़कियों ने

घर के भीतर इंसान

को बदलते देखा है।


लोगों के हुजूम में से

अपनों को तलाशती है

ये खिड़कियाँ,


अब मेरे आशियाने की

शोभा बढ़ाती है

ये खिड़कियाँ।।


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