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Indraj Aamath

Abstract Romance Classics

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Indraj Aamath

Abstract Romance Classics

टूटते तारे, तुम्हारी याद

टूटते तारे, तुम्हारी याद

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बेरंग सी ये रातें हैं,
ना चाँद है, ना उजाले हैं।
बस खामोशियों की चादर में,
तेरी यादों के हवाले हैं।

किसी टूटते तारे को देखा,
जैसे आसमान ने आह भरी,
मैंने भी एक दुआ मांगी थी,
तेरे नाम की, चुपचाप खरी।

तू दूर कहीं था शायद,
पर दिल के करीब लगता था,
हर नया उगता तारा मुझे,
तेरा पैग़ाम सा दिखता था।

कभी रातें भी बातें करती हैं,
तेरे बिना, अधूरी सी लगती हैं,
पर जब तारे नए उगते हैं,
तुझसे मिलने की उम्मीद जगती है।

मैं टूटे तारों से सीख गया हूँ,
ग़म भी एक दिन बीत जाएगा,
तेरा प्यार, तेरी मुस्कान
किसी नई सुबह सा लौट आएगा।


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