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Indraj Aamath

Children Stories Drama Classics

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Indraj Aamath

Children Stories Drama Classics

बचपन वाला गांव

बचपन वाला गांव

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चलो आज हमतुम एक काम करते हैं

फिर से बचपन वाले गांव लौट चलते हैं


उस बगियां की डाली पर हम तुम

फिर से बैठकर आंखे चार करते हैं


बूंदों से बिछड़ने चल पड़ा ये बादल

फिर से शाम ढले मुलाकात करते हैं


पहली बारिश में देखो मोर नाच रहा है

फिर से सावन का वो झूला झूलते है


बादल यूं ही गरजते रहे आज रात भर

आंखों में तेरा चेहरा लिए रातभर जागते हैं


भोर हुई तो हम दौड़े आए तेरे दर पर

फिर से लोग हमें तिरछी नज़रों से देखते हैं


सावन में बारिश भी रोए जा रही है अब

फिर से अपने अफसाने की किताब लिखते हैं।


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