बचपन वाला गांव
बचपन वाला गांव
1 min
253
चलो आज हमतुम एक काम करते हैं
फिर से बचपन वाले गांव लौट चलते हैं
उस बगियां की डाली पर हम तुम
फिर से बैठकर आंखे चार करते हैं
बूंदों से बिछड़ने चल पड़ा ये बादल
फिर से शाम ढले मुलाकात करते हैं
पहली बारिश में देखो मोर नाच रहा है
फिर से सावन का वो झूला झूलते है
बादल यूं ही गरजते रहे आज रात भर
आंखों में तेरा चेहरा लिए रातभर जागते हैं
भोर हुई तो हम दौड़े आए तेरे दर पर
फिर से लोग हमें तिरछी नज़रों से देखते हैं
सावन में बारिश भी रोए जा रही है अब
फिर से अपने अफसाने की किताब लिखते हैं।
