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Indraj Aamath

Romance Classics Others

4  

Indraj Aamath

Romance Classics Others

मुसाफ़िर

मुसाफ़िर

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दर से दर को भटका मुसाफिर
ना प्यार मिला ना यार मिला,
तन से मन से थका मुसाफिर
चैन मिला ना सुकून मिला।

आँखों में आँसू रोया मुसाफिर
नयन मिले ना साथ मिला,
दूर तलक फिर चला मुसाफिर
राह मिली ना लक्ष्य मिला।

थक कर हारा फिर मुसाफिर
जो चला गया वो फिर ना मिला,
टूटे ख्वाब लिए सोया मुसाफिर 
एक स्वप्न था वो सच ना मिला।

भरी धूप में खड़ा मुसाफिर 
वो संग था पर साथ ना मिला,
तन्हाई में खोया मुसाफिर
न शोर मिला ना शांत मिला।

अब बस यादें रह गई मुसाफिर
जो भी मिला वो अधूरा मिला, 
तू सच में निकला एक मुसाफिर
भटक गया पर ख़्वाब ना मिला।।


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