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Indraj Aamath

Romance Tragedy Classics

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Indraj Aamath

Romance Tragedy Classics

एक ख़्वाब

एक ख़्वाब

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*** एक ख़्वाब ***

सागर के तट पर हाथ पकड़े,
मैने उन्हें चहकते देखा है,
बिछड़ने के अंदेशे में भी,
गले लग कर रोते देखा है।

सुनहरे पलों के ख़्वाब संजोए,
उन्हें मदमस्त होते देखा है,
कुछ बेरुखी थी जीवन में,
उन्हें एक जीवन जीते देखा है।

यूं चली सर्द हवा शहर की,
उन्हें बिछड़ते देखा है,
सुनसान स्वर्णिम आवासों में,
उनके रुदन को देखा है।

समझ नहीं आ रहा कौन सही,
एक दूसरे पर गुस्सा होते देखा है,
दोनों के अलावा हर सख्श को,
मन में प्रफुल्लित होते देखा है।

व्हाट्सएप पर, गलियारों में,
लोगों को चर्चा करते देखा है,
दोनों रो रहे अंदर ही अंदर,
हालात पर टूटते देखा है।

ऐसा नहीं कि सब बिखर गया,
नौका को किनारे लगते देखा है,
घर बिखर गया उस चिड़िया का,
फिर से तिनके उठाते देखा है।

मन में चाहत भरी है दोनों में,
लबों में नाम उनका ही देखा है,
बर्फ की चादर को भी एक दिन,
पिघलकर नदी में मिलते देखा है।

मिलेंगे एक दिन इस शहर में,
बच्चों की तरह लिपटते देखा है,
एक दूसरे से झगड़ते हुए भी,
उन्हें गले लगते हुए देखा है।

दुनिया जाए अब भाड़ में,
एक दूजे के लिए जीते देखा है,
अतीत को भूलकर दोनों ने,
नए जीवन में खुद को देखा है।

कभी कॉल पर कभी ख़्वाब में,
मिलने को व्याकुल होते देखा है,
गोवा के तट पर इस जोड़ी को,
मद - मस्त नाचते देखा है।
         *****


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