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Indraj Aamath

Others

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Indraj Aamath

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अक्सर तेरे बारे में कुछ

अक्सर तेरे बारे में कुछ

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अक्सर तेरे बारे में कुछ

ऐसे खयालात आते हैं,

तुम दूर होकर भी पास हो

बस यही मुझे डराते हैं।


सोचा जन्नत मिल गई

मुझे इस जमाने की,

ये ख्याल ही अब मुझे

अंदर से हिला जाते हैं।


एक रोज जब तुम मिली

टपरी की बोझिल शामों में,

अंदर के दबे जज्बात अब 

बिखरे बिखरे नजर आते हैं।


साहिल पर हाथ थामे 

लोगों को गुजरते देखा,

मेरे पांव तेरे साथ ही क्यों

मंदिर के द्वार चले आते हैं।


गुजरता गया ये वक्त अब

अपनी अविरल सादगी से,

महफिल के माहौल में भी

लोग करवट बदल जाते हैं।


तुम्हारी सांसों को मैने

पढ़ने की कोशिश की थी,

कुछ ख़्वाब जो देखे थे वो

अब टूटे नजर आने लगे हैं।


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