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कथनी और करनी

कथनी और करनी

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भारत देश को

हम महान बताते हैं।

बस कथनी और करनी में

थोड़ा सा अंतर कर जाते हैं।


हम प्रगतिशील देश की श्रेणी में आते हैं

पर प्रदूषण और आबादी पर

रोक नहीं लगा पाते हैं।


यहाँ धर्म की लड़ाई है

फिर भी कहते हैं हम।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई

भाई-भाई है।


जय जवान जय किसान

यहीं सभी चिल्लाते हैं।

पर अक्सर उनके आत्महत्या और

शहीद होने के समाचार आते हैं।


कहने को हम

स्वतंत्र देश के नागरिक है।

पर टेक्नोलोजी पर

पूरी तरह आश्रित है।


अनेकता मे एकता

बचपन से सुनते आते हैं।

पर वोट देने जातिवाद के

सहारे ही जाते हैं।


बुजुर्गों का सम्मान

हमारी परंपरा है।

पर हर वृद्धाआश्रम भी

यहीं भरा है।


मीडिया को देश की

जन चेतना का आधार बताते हैं।

पर खुद ही इनके टीआरपी के

जाल में फँस जाते हैं।


ईमानदारी के जज्बे के साथ

पूरी ज़िंदगी बिताते हैं।

पर जरूरत होने पर

रिश्वत से भी काम चलाते हैं।


भारत देश को हम

महान बताते हैं।

बस कथनी और करनी में

थोड़ा सा अंतर कर जाते हैं।।


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