लक्ष्य
लक्ष्य
न लक्ष्य बदल चल एक राह पे तू, न छोड़ डगर ले आसान सफ़र
मंज़िल न मिलेगी आसान तुझको, डगर मुश्किलों से भरी होगी।
तूफान का आना तो तय है और उसमे तेरा गिर जाना भी तय है
गिर कर फिर तू उठ चल और पकड़ डगर अपनी मंज़िल की।
न हार तू मन से न थकना तन से, तूझे दूर बहुत अभी जाना है
जो तेरे मन ने ठाना है वो तुझे अब कर ही दिखना है।
लोग हँसेंगे तुझ पर भी, कटाक्ष करेंगे वो तुझ पर
न ध्यान तू उन को देना, बस तू अपनी मंज़िल को तकना।
एक छोटी सी उम्मीद खुद में जगा, दिल में तू एक तूफान उठा
ईश्वर का फिर ध्यान लगा, कर्मठ बन फिर तू जुट जा।
आज तुझे नहीं रुकना है, ना आज तुझे कही थकना है
बस चलते ही चलते जाना है और अपने लक्ष्य को पाना है।
एक पहचान बना इस दुनिया में, सम्मान मिले इस दुनिया से
एक अहसास बना तू खुद में, सम्मान मिले अपनी नज़रों से भी।
बदल नजरिया अपना तू, बदल सोच दुनिया की तू
कभी तेज कभी आहिस्ता बदल, न बदल लक्ष्य तू अपना कभी।
मन में संघर्ष की चिंगारी जला, जज़्बात को अपने तू शोले बना
चल अब पथरीले रास्तों पर, अँधियारा तू अब दूर भागा।
गरजे बादल और चमके बिजली, पर हर मुश्किल को तू अब धूल चटा
कुछ मोड़ रहे गये मंज़िल में, इनको को भी तू अब पार लगा।।
