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विरह गीत

विरह गीत

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हम आज जुदा

होके तुमसे

पछताते राह पे

जाते हैं मंजिल को

अब जाने दो

छाया भी

भागे जाते हैं !


लग रहा आज

गिरने वाला है आसमान,

यह अंधकार जीवन का

कब होगा विहान !


सिर्फ तुम्हारी

यादों में

आँसू मेरे

वह जाते हैं मंजिल को

अब जाने दो

छाया भी भागे जाते हैं !


मैं जिधर देखता

आज उधर पतझड़ ही है ,

अब नयनों का साथी

मेरा सावन ही है !


अब कोयल की बोली

गीत विरह के लगते हैं

मंजिल को अब जाने दो

छाया भी भागे जाते हैं

हम आज जुदा

होके तुमसे पछताते राह पे

जाते हैं !


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