लिखना जरूरी है...
लिखना जरूरी है...
क्योंकि बात जुबां पर आ नहीं सकती इसलिए लिखना जरूरी है...
जो रह गई बात अन्दर ही, तो सैलाब उठ जाएगी,
औरों को फर्क पड़े ना पड़े, खुद मगर घायल हो जाएगी,
क्योंकि जख्म, ये बयां कर नहीं सकती इसलिए लिखना जरूरी है...
हाँ माना बोलने की छूट है यहाँ सबको
मगर दिल की बात सुनने को कौन बैठा है,
पड़ी नहीं यहाँ किसीको किसी की
बस 'मैं हूँ ना' की रट लगाए बैठा है।
क्योंकि जज्बात छु नहीं सकती कानों को इसलिए लिखना जरूरी है...
चाहे यह बातें यहीं तक रह जाएगी,
मुझसे शुरू और मुझ तक ही खत्म हो जाएगी,
क्योंकि अश्क आँखों से बह नहीं सकती इसलिए लिखना जरूरी है...