तुम कहाँ जा रहे हो...?
तुम कहाँ जा रहे हो...?
किया विकास कई तुमने,
हर वक़्त हर चरण में,
घुमें गाडि़यों में, रखा नजर फोन पर,
सीधी निगाहें, हाथ जेब पर,
छोड़ा दामन परिवार का,
बिखेरी खुशियाँ संसार का,
महँगी जीवनशैली पर इतरा रहे हो,
अब तुम ही बताओ मानव !
झूठी कामयाबी का ताज पहन,
तुम कहाँ जा रहे हो.....?