STORYMIRROR

Manisha Shaw

Inspirational

3  

Manisha Shaw

Inspirational

तकदीर का रोना

तकदीर का रोना

1 min
343

क्यों आजकल हर कोई 

अपनी तकदीर पर रोता है 

मिलना उसे वही है, जिसका बीज 

उसने खुद से बोया होता है 

छोड़कर ये लकीर का लेखा-जोखा 

बस मन को दृढ़ बनाना होता है 

मैंने तकदीर को भी पलटते देखा है 

जब सामने चट्टान सा हौसला खड़ा होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational