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Geeta Upadhyay

Abstract

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Geeta Upadhyay

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राह लंबी है

राह लंबी है

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राह लंबी है घुप अंधेरा है

उनकी आंखों में ख्वाब मेरा है

बोलते कुछ नहीं जुबां से वो 

एहसास का रिश्ता बड़ा ही गहरा है

राह लंबी है घुप अंधेरा है

उनकी आंखों में ख्वाब मेरा है

चलता है ये वक्त कहां ठहरा है

कुदरत की हर शय पे इसका पहरा है

मुश्किलें कुछ भी नहीं आती नजर 

जो हर कदम पर साथ तेरा है 

राह लंबी है घुप अंधेरा है 

उनकी आंखों में ख्वाब मेरा है

आस छोटी है मगर ख्वाहिशों का मेला है

ख्वाब टूटे हैं कई दर्द बड़ा झेला है

 मंजिल मिल ही जाएंगी इक दिन

 साहिलों पे तूफां ने जब धकेला है

 राह लंबी है घुप अंधेरा है 

उनकी आंखों में ख्वाब मेरा है।



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