मन?
मन?

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मन तुम
कितने
चंचल हो
तुम
पता नहीं
कैसे और
क्या क्या
सोच लेते हो
कभी कुछ
अगले हीं पल
कभी कुछ
कभी कहीं
चले जाते हो
कभी कही
इतनी स्फूर्ति
कहां से पाते हो
आलस तुम्हे
क्यों नहीं आती
अमूर्त तुम
क्यों हो
क्यों ?