ज़ायक़ा है ज़िंदगी
ज़ायक़ा है ज़िंदगी


मासूमियत से भरे बचपन में,
बड़प्पन का ज़ायक़ा है ज़िंदगी ॥
माँ बाप की डाँट फटकार में,
छुपे प्यार का ज़ायक़ा है ज़िंदगी ॥
भाई बहन के मस्त मिज़ाज में,
रूठने मनाने का ज़ायक़ा है ज़िंदगी ॥
यारों के साथ गुफ़्तगू में,
हर लम्हा यादगार बनाने का ज़ायक़ा है ज़िंदगी ॥
मिलते तो बहुत लोग है सफ़र में,
पर अपना बना लेना ही ज़ायक़ा है ज़िंदगी ॥
बदलते वक्त की कशमकश और भागदौड़ में
इक नयी शुरुआत का साया है ज़िंदगी ॥