ज़िंदगी गुल्ज़ार
ज़िंदगी गुल्ज़ार
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कई दफ़ा ज़िंदगी एक एहसास यूं हुआ है,
बदलते वक़्त से जुदा मेरा हसीन पल हुआ है।
भीड़ में हो के भी तनहा यूँ हुआ हूँ,
क़रीब किसी के हो के भी खोया मैं रहा हूँ।
रिश्तों में ख़ुशियाँ हर वक़्त मैं ढूँढता हूँ,
पर फ़रमाइशों को दफ्न बिना झिझक मैं करता हूँ।
जिम्मेदारियों से मैं कभी नहीं डरा हूँ,
पर आज आगे बढ़ने की जगह ठहर मैं गया हूँ।
दूर हो के एक बात मैं सीखा हूँ,
बुनती हुई ज़िंदगी सिर्फ़ लोगों कि मोहताज नहीं होती हैं,
बल्कि प्यार के एहसास से ज़िंदगी फिर नई होती है ।।