STORYMIRROR

Manmeet Arora

Inspirational

4  

Manmeet Arora

Inspirational

जहाँ साँसो की क़ीमत उम्र भर कीं कमाई थीं

जहाँ साँसो की क़ीमत उम्र भर कीं कमाई थीं

1 min
208

दूर फ़लक तक आज भी उन पलों कीं दुहाईं थीं,

जहाँ साँसो कीं क़िमत उम्र भर कीं कमाई थीं।


जहाँ बच्चों के जन्म में ख़ुशिया टटोली जाती थीं,

वहीं उन घरों में मायूसी सी छाई थी।


जहाँ माँ-बाप के प्यार ओर नोक झोंक में मुस्कुराहटें थीं,

वही उनकीं तसवीरों में ख़ामोशी सी छाई थीं।


जहाँ हर रिश्तों में अपनापन सा लगता था,

वही आँसुओ की कश्ती में अकेलापन सा था।


जहाँ हर पल साथ चलने की कसमें खाईं थीं,

वही राहों में बस अधूरापन सा था।


जहाँ यार की यारी में बस गम बाँटा जाता था,

वहीं दफ़्न उन लम्हों कि परछाईं थीं।


जहाँ हर वक़्त कुछ करने का जज़्बा था,

वही ज़हन में बस अरमानो की तबाही थीं।


आज भी उन अपनों के खोने का दर्द साथ है,

जहाँ साँसों की क़ीमत उम्र भर कीं कमाई थीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational