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Manmeet Arora

Tragedy

3  

Manmeet Arora

Tragedy

जनता कर्फ्यू।।

जनता कर्फ्यू।।

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आज ये मंज़र ,ये वक़्त कुछ और है,

आज कलम के लफ़्ज़ों में आवाज़ कुछ और है।

जहां बीते हुए लम्हों को संवारा करते थे,

आज आगे वाली पीढ़ी की दिशा में ,संकोच कुछ और है।

यूं तो मिल जाते हैं लोग हर राह में,

आज हर गली की चुप्पी में ,झिझक कुछ और है।

कहते हैं हर ज़ख्म वक़्त के साथ भर जाता है,

पर आज हर ज़ख्म से ,जुड़ाव कुछ और है

और उस जुड़ाव के अभाव में एहसास कुछ और है।।


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