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Sonam Kewat

Tragedy

4  

Sonam Kewat

Tragedy

लाचार माँ-बाप

लाचार माँ-बाप

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अगर पढ़ रहे हो तो मैं चाहती हूं 

मेरी यह कविता तुम्हारे दिल को छू जाए 

मेरी तरह तुम भी एक कदम उठाना 

हो सकता है दिन बदलाव जरूर आए 


मेरे यहां एक परिवार मां बाप ने 

खुद को फांसी लगाकर मार डाला 

लोग तमाशा देखते हुए कह रहे थे 

हाय राम, ये क्या गुनाह कर डाला 


दरअसल उनकी बेटी का बलात्कार हुआ था 

पर कीचड़ भी उसी पर उछाला गया 

आरोपी तो बड़े पैसे वाले थे इसलिए 

पीड़ितों को उनके घर से निकाला गया 


बेटी को खो चुके थे पर ये क्या कम था 

कि लोग बेटी को चरित्रहीन कहने लगे

शायद गरीब होना पाप है यही सोच कर 

उनकी आंखों से आंसू बहने लगे 


अगर साथ नहीं दे सकते गम में तो

सच को दबाने का तुम्हें हक नहीं है 

बेटा बड़े बड़े आरोप करते रहे पर

मां-बाप को अपने बेटे पर शक नहीं है


यही होता कहीं रईसी मां बाप 

बेटे को बचाने के लिए लड़ता है तो 

कहीं कोई लाचार मां बाप बेटी को 

इंसाफ दिलाने के लिए तड़पता है!


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