Aishani Aishani
Abstract
क्या कहा था तुमने
मैं स्वार्थी हूँ..?
हाँ..!
मानती हूँ
हूँ मैं स्वार्थी
किन्तु,..
निर्दयी नहीं..!
किसी के सुख में
उपस्थित भले ना रहूँ
पर...
दुःख में सदैव
उपस्थित तो रहती हूँ !
रूप का चाँद.....
लिखना चाहती ह...
भूल गई हूँ..!...
धारा के विरुद...
तुम्हारी पसन्...
शिखर..!
सुनो राम..!
उसने ख़ुद को ...
नहीं बदलूँगी....
तुम बिन..!
ये सब तो नाम का था मुझ तो कुछ भी याद न रहा।। ये सब तो नाम का था मुझ तो कुछ भी याद न रहा।।
फिर भी दिल नहीं भरता लोगों का, फिर भी दिल नहीं भरता लोगों का,
सवाल सी ज़िंदगी है जवाब नहीं कोई... सवाल सी ज़िंदगी है जवाब नहीं कोई...
अंधेरा क्यों पाले जब है यादों के उजाले। अंधेरा क्यों पाले जब है यादों के उजाले।
अब आसान नहीं है, उन सा जी जाना, जो खिल रहें हैं, कांटों को सह के। अब आसान नहीं है, उन सा जी जाना, जो खिल रहें हैं, कांटों को सह के।
तुम्हारे चेहरे पर गुरुर नजर आता है मुझे तो हर तरफ इश्क़ नजर आता है। तुम्हारे चेहरे पर गुरुर नजर आता है मुझे तो हर तरफ इश्क़ नजर आता है।
अचल, विशाल पर्वत अनभिज्ञ प्रारब्ध से, अचल, विशाल पर्वत अनभिज्ञ प्रारब्ध से,
मेरा मन तन्हा तन्हा भटकता है, तिनका आँखों में ही खटकता है। मेरा मन तन्हा तन्हा भटकता है, तिनका आँखों में ही खटकता है।
बदलते वक्त के साथ साथ, बदल रही है सबकी बाते बदलते वक्त के साथ साथ, बदल रही है सबकी बाते
कुछ मंजिल की जिंदगी गई कुछ खुद को जानने में गई। कुछ मंजिल की जिंदगी गई कुछ खुद को जानने में गई।
गम के बिना खुशियों का , पता ना चलता कोई मोल , गम के बिना खुशियों का , पता ना चलता कोई मोल ,
यह एक ऐसी भावना है जो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। यह एक ऐसी भावना है जो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।
पर मैं नहीं थका अब भी , बहुत कुछ करने की तमन्ना , है मेरे भी मन में , पर मैं नहीं थका अब भी , बहुत कुछ करने की तमन्ना , है मेरे भी मन में ,
जिसे पहली बार लिखा होगा किसी ने किसी के लिए।। जिसे पहली बार लिखा होगा किसी ने किसी के लिए।।
खेल में जान लगा देती हैं दोनों टीमें। खेल में जान लगा देती हैं दोनों टीमें।
मन में जो थी खुशी वो बड़ी सुहानी लगी। मन में जो थी खुशी वो बड़ी सुहानी लगी।
मेरी बिटिया तुम मेरे आंगन की चहल-पहल, मेरी बिटिया तुम मेरे आंगन की चहल-पहल,
नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे। नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे।
बस मन का फेर होने की देर है बस मन का फेर होने की देर है
स्कूल के समय मिल लेते थे सब तब समय की कमी नहीं थी। स्कूल के समय मिल लेते थे सब तब समय की कमी नहीं थी।