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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Inspirational

'' कृषक के स्वप्न "

'' कृषक के स्वप्न "

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हर्षित कृषक मन, छाया है सघन घन,

बूँद-बूँद  टिप-टिप, पड़ी ऐसी बुँदिया।


बादल पाहुन आये, पावस सन्देशा लाये,

कर में लिए है जैसे, मनोहारी पतिया ।              


कजरारे मेघा छाए, वसुधा को हर्षाए,

कृषक नयन पाए, सुखकारी निंदिया ।


बेटी की विदाई होगी, गूँजी शहनाई होगी,

परदेशी होगी मेरी, आँगन की चिड़िया ।



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