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Suraj Kumar Sahu

Abstract

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Suraj Kumar Sahu

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कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस

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प्राण वो तो निछावर कर गए थे कल,

देख ताकत को दुश्मन डर गये थे कल,

हो सफाया गया इस कदर ज़ालिम का,

टिक सका ना जहाँ से गुजर गए थे कल, 

सोचा देकर वो धोखा हरा पाएगा,

मार पाकर वही पर पसर गए थे कल,

भूल उसकी नही बस गलतफहमी थी,

मिट गया था भरम जो बिसर गए थे कल,

जीत जंग जो गये थे खुशी का ये पल,

भूला जाता नही आँख भर गए थे कल, 

नील करता नमन हाथों को जोड़कर, 

जंग में लड़ने जो निडर गए थे कल।



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