STORYMIRROR

Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

4  

Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

क्षणिक उदास

क्षणिक उदास

1 min
249


ए हमारे प्यारे साथी 

   हम तो तुम से रुठे थे क्षणिक।

ये भी जानते थे हम 

 कि तुम हीरा हो सुच्चा मणिक।।

बगिया से जब फूल लगे टूटने 

   तुम्हारे कारण सब हो रहा था।

निष्ठुर हुए तुम बाग के माली 

  हितैषियों का दिल रो रहा था।।

बाग को संवारो मर्जी से 

  बाग से सब कर गये किनारा।

हमारा दिल भी खूब रोया 

  जब तुमने कर दिया बंटवारा ।।

अनाथ हो बंजर में नये बाग को 

   संवारने में हमसब जुट गये ।

नये को पहुंचा बुलंदी पे 

  देख पुराने की दशा घुट गये ।।

अचानक तुम दूर चले गये 

    गिले भी कर ना सके दूर ।।

तुम ने तो बाग संवारा खूब 

   नये माली में है भारी गरूर ।।


     


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy