हादसा
हादसा
दिल की बातों से ज़्यादा दिमाग़
पर यक़ीन होने लगा है
आपके आने से ज़्यादा
आपके ना आने का यक़ीन
होने लगा है
बात दिल से अब निकलती ही नहीं
तुम्हें खो देने का एहसास होने लगा है
आहिस्ता आहिस्ता हमें भूल जाना
याद आने का बहाना अब
खोने लगा है
रोज़ रोता था जो तनहाई में अपनी
आज वही सरेआम होने लगा है
किस-किस को दिलाएं हम
अपनी वफ़ा का यक़ीन
थक चुके हैं हम
सर में दर्द होने लगा है
वास्ता उल्फ़त से ही नहीं रखा
रुसवा प्यार सरे बाज़ार
अब होने लगा है
तेरी सीरत का यक़ीन भूल बैठे
मुआमला जिस्म का अब होने लगा है
आहिस्ता आहिस्ता मर
न जाएंँ कहीं
हादसा ज़िन्दगी में होने लगा है।
