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Hrishikesh Pandey

Tragedy

4  

Hrishikesh Pandey

Tragedy

"मैं बदनाम"

"मैं बदनाम"

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तुम लड़की हो तुम्हारा है सारा सम्मान,

मैं लड़का हूँ मैं तो हूँ हीं आवारा बदनाम |


कभी मैं सड़कों पे शरीफ़ लड़की छेड़ता पाया जाऊँगा,

कभी मैं झूठे बलात्कार का सच्चा मुज़रिम बनाया जाऊँगा ।


कभी मैं दहेज का लोभी घर-घर देखा जाऊँगा,

कभी मैं माता-पिता संग कारावास में फेंका जाऊंगा।


शराफ़त का चोला पहनकर आए हैं नेकदिल महान्,

तुम लड़के हो.. नारीवाद के दायरे में तुम हो हैवान ।


वाह रे दुनिया! क्या खूब अजब तेरा तमाशा है,

जहाँ हर बार एक लड़का ही गलत हो जाता है।


कभी सड़कों पर कभी घर पर मैं भी पीटा जाता हूँ,

सह लेता हूँ चुपचाप सब कुछ.. कुछ कह कहाँ पाता हूँ।


मैं क्हूँ शोषण मेरा भी होता है तो क्या ख़ाक करोगे,

मैं कहूँ घरेलु हिंसा मेरे साथ भी होती है तो क्या विश्वास करोगे?


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