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Hrishikesh Pandey

Romance

4  

Hrishikesh Pandey

Romance

मन की बातें मन हि जाने

मन की बातें मन हि जाने

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मन में सैलाब है मगर सब कुछ लिखूं तो लिखूं कैसे फट रहे है लिबास मेरे मगर उन्हें सियूँ तो सियूँ कैसे

और रोज कुछ ना कुछ होता रहता है मेरी ज़िन्दगी में अब इन हालातों में ज़िन्दगी को जीयूं तो जीयूं कैसे ।।


हाथों से सब छूट रहा है सब था तो थाम कैसे पीछे छूट रहा हूं ज़िन्दगी में आगे भागूं तो भागूं कैसे

बेकाबू हो जाते है हालात मेरी लाख कोशिश पर भी अब इतने पर भी मैं जीना चाहूं तो चाहूं कैसे ।।


सब कुछ सबको बताऊं तो बताऊं भला कैसे तकलीफ सबको अपनी दिखाऊं तो दिखाऊं कैसे

और कोई तो जो खुद रुक जाए हमारे पास सबको जबरदस्ती अपना बनाऊं तो बनाऊं कैसे ।।


इश्क में डूबा हूं अब इससे बाहर आऊं तो आऊं कैसे और वो दूर भाग रहे है उन्हें पास लाऊं तो लाऊं कैसे

हर एक के लबों पे यहां शिकवे है उन्हें मिटाऊं तो मिटाऊं कैसे और आखिर परेशानी क्या है

उन्हें जताऊं तो जताऊं कैसे ।।


वो दूर जा रहे है उन्हें पास लाऊं तो आखिर लाऊं कैसे वो कितने करीब है दिल के उन्हें ये बताऊं तो बताऊं कैसे

सुबह शाम दिन रात अब अकेले भला बिताऊं तो बिताऊं कैसे हार रहा हूँ जिंदगी में अब इसमें खुद को

जीताऊं तो जीताऊँ भला कैसे ।।


अब लोगों को तो आदत है मुझमें कमियां ढूंढने की अब उन्हें अपनी अच्छाई दिखाऊं तो दिखाऊं भला कैसे

लोगों की बाते तो दिल को चीर चुकी है कब की अब ज़ख्म को सुखाऊं तो सुखाऊँ भला तो कैसे ।।


सब कुछ लिख दिया तो समझने वाला कोई नहीं मिलेगा अब ये गहराइयों की बाते किस तरह तुमको समझाए

भला कैसे कुछ को अपना माना था कुछ पे भरोसा भी किया था अब उनका तुम्हें नाम बताऊं तो बताऊं भला कैसे ।।


वो तो करीब आकर हमें बरबाद सा कर गए थे अब उनको अपनी यादों से भुलाऊं तो भुलाऊं भला कैसे

वो तो आज भी हमें महफिलों में बदनाम करते फिर रहे है अब हम उनकी बाते महफिलों में

बताए तो बताएं भला कैसे ।।


यूं नहीं है की हम उनकी महफिलों में बदनामी करने से नाराज है अब वो हमारे लिए कितने खास है ये

उन्हें जताए तो जताए भला कैसे

वो उनका रातों में बात करना आज भी हमारे लिए खास है। क्या उनमें खास है अब यह उन्हें जताए तो जताए भला कैसे ।।


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