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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Drama Others

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Drama Others

ये है INDIA

ये है INDIA

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कल तक जो आपस में लड़ रहे थे 

आज वे हंस हंसकर गले मिल रहे हैं । 

कल तक जूतों में दाल बंट रही थी 

आज विपक्षी एकता के फूल खिल रहे हैं ।।

देश को अपनी बपौती समझने वाले 

खानदानी चिरागों को "रोशन" कर रहे हैं 

मिल बांटकर कैसे लूटेंगे भविष्य में देश को 

ऐसे लोग बैंगलोर में चिंतन मनन कर रहे हैं 

आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की

वो लोग आज लोकतंत्र पर शर्मसार हो रहे हैं 

कट्टर ईमानदारी का बाना पहनकर आने वाले 

रोज रोज भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान गढ़ रहे हैं ।। 

ममता नहीं, संवेदना नहीं केवल अत्याचार है 

मेरे बंगाल में आजकल बम गोली की बहार है 

कैसा भी चुनाव हो, सौ पचास तो मरते ही हैं 

"दीदी" वाले लाठीतंत्र में विरोधी तो कटते ही हैं 

जंगलराज को कौन भूल पायेगा सिहरन होने लगती है 

बिहार की भूमि अबला द्रोपदी सी निर्वस्त्र सी लगती है 

सुशासन बाबू के कुशासन से जनता तंग आ गई लगती है 

सपनों में अब मुंगेरीलाल को दिल्ली की कुर्सी दिखती है 

द्रविड़ अस्मिता के नाम पर दक्षिण को उत्तर से भड़काया 

2 G जैसे घोटाला करने को फिर से वह भागा भागा आया 

महाराष्ट्र की तो बात करें क्या , बाप का नाम खराब किया 

ऐसे धोखेबाजों को इनके अपनों ने धोखा देकर जवाब दिया 

किस किस का नाम लें, किस किस को रोइए 

चोरों की बारात निकली है जी भरकर खुश होइए  

पर अब जनता मूर्ख नहीं बहुत समझदार हो गई है 

INDIA नाम नया है पर इसमें माल सड़ा सा वही है 



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