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अनजान रसिक

Drama Inspirational

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अनजान रसिक

Drama Inspirational

साथ तेरे होने से ही

साथ तेरे होने से ही

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लाल चोले में सज धज कर, रंग-बिरंगी चूनर ओढ़कर,सिंह पर सवार हो कर,

दुष्टों का संहार करने के लिए माँ भवानी चली शान से अपनी यात्रा पर,

भक्तजन स्तब्ध रह गए माँ के ऐसे सौम्य रूप का दर्शन कर कर. 

सोयी किस्मत जाग उठती,बिगड़ी पल में बन जाती सच्चे मन से मैया के समक्ष शीश नवां कर,

रोग दोष दूर सभी हो जाते पूर्ण श्रद्धा से उस दया की मूर्ति के द्वारे जाकर।

जब कुछ बाकी नहीं रह जाता जीवन में, झोली भर देती अपनी कृपा दृष्टि बरसा कर,

ज्ञान भण्डार भर देती, निवारण सब कष्टों का कर देती, झूमते नाचते रह जाते भक्तजन मैय्या के दर्शन पा कर।

इंद्र कृष्ण जिसकी करते हर पल आरती, चंवर कुबेर ढुलाए बारम्बार,

हाथ जोड़ विनति करें सभी भक्तजन की जग जननी, मेरी शेरावाली मैय्या करा दे भवसागर से पार।

क्षमा कर देती पल में ही,तू ही इस धरती की संचालक है, तू ही सबका कर देती संहार,

सर्वज्ञानी है मैय्या मेरी,बिन बोल मन पढ़ लेती मेरा,

पूरा कर देती मेरा हर मनोकामना जो लिया उसे सच्चे हृदय से पुकार।

पहाड़ा वासिनी है, ज्योति वाली तू, लाटा वाली है तू, अम्बे तू,

जगदम्बे है तू, दुर्गा तू, वैष्णो तू, काली तू ही, तू पर्वतवासिनी,

अनगनित नामों से प्रख्यात, अपरम्पार है तेरी लीला, उँगलियों पे तेरी सारी ये दुनिया नाचती।

सब गुण कैसे बखान करूँ तेरे, इस छोटी सी अभिव्यक्ति में अपनी,

मान मेरा तुझसे से ही,सम्मान तुझसे है, जीवन मेरा साकार है माँ दुर्गे तेरे साथ होने से ही। .


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