माँ दुर्गा के विभिन्न रूप
माँ दुर्गा के विभिन्न रूप
नवरात्री के नौ दिनों में करके दुर्गेश्वरी के नौ रूपों का ध्यान,
पूर्ण श्रद्धा से शीश नवा कर मांग रही माता से, बस यही वरदान,
कि विश्वास सदा बना रहे उस पर, चाहे आये कोई भी व्यवधान
सब संकट और कष्टों से उबरने की मिल जाएं शक्ति आपार
उस देवी की दया-दृष्टि से ह्रदय में जल उठेँ ज्ञान के दीप हज़ार,
प्रेम ही प्रेम भर जाए जीवन में,औरों को भी दूँ खुशियों का उपहार।
हिमालय अथार्थ शैल की आत्मजा, पावर्ती रूप में जन्मी,माँ शैलपुत्री हैं प्रथम रूप,
इनकी कृपादृष्टि से धन-धान्य, रोजगार और स्वास्थ्य में होती वृद्धि,
चहुँ ओर व्यापक होती समृद्धि जिसके फल स्वरूप।
दूजा रूप देवी का ब्राह्मचारिणी देता जो संयम और नियम का समन्वय और संज्ञान,
कोई भी ध्येय, कोई भी मंज़िल पाने हेतु परम आवश्यक है ब्रह्म के सिद्धांतों का
अनुकरण जिस से होता सभी का कल्याण।
तीजा रूप है चन्द्रघण्टा जिनके ललाट पे सुशोभित है घंटे के आकार का चन्द्रमा,
आत्म कल्याण और शांति की तलाश में भटकते बटोही को इनकी आराधना करने से मिल जाती सही राह।
चौथा रूप देवी का कहलाता कुष्माण्डा जिनकी मंद मुस्कार से ब्रह्माण्ड की हुई हैँ रचना,
भय और डर छूमंतर हों जाते जो भक्तजन कर लेते देवी के इस स्वरुप की उपासना।
कार्तिकेय अथार्थ सकन्द की जननी स्कन्दमाता हैं देवी का रूप पांचवा,
सफलता के लिए अति-आवश्यक शक्ति का संचय और सृजन की क्षमता की हैं यें दाता।
छंटा रूप देवी का हैं कात्यायिनी ऋषि की पुत्री माता कात्यायिनी का,
रोग दोष, शोक संताप सबसे मिल जाती मुक्ति जो भक्त चुन लेता रास्ता इनकी भक्ति का।
सांतवे रूप, माता कालरात्री की उपासना से शिक्षा मिलती
शत्रुओं पर विजय पाने के तौर - तारीकों की,
मातृत्व को समर्पित देवी का यह रूप ज्ञान और वैराग्य सभी को प्रदान करके
राह बनाता सरल उनके उत्थान की।
अष्टम रूप में माता दुर्गा सौन्दर्यवान, देदीप्यमान, शान्ति की प्रतिमा,
महागौरी के रूप में पूजी जातीं,
इस करुणामयी, मतमामयी रूप को धारण कर अपने सभी भक्तों की
मनोकामनाओं को पूर्ण कर उनका उद्धार कर जातीं।
नवम रूप में देवी दुर्गा सिद्धिदात्री का स्वरूप धारण कर लेतीं,
अद्भुत सिद्धि, क्षमता प्रदान कर सम्पूर्ण सारा जीवन कर देतीं।
कृपादृष्टि बनी रहे माँ दुर्गा की प्रत्येक रूप में, ऐसी मनोकामना है हम सबकी,
खुशियों का असीमित प्रवाह हो जाए सभी के जीवन में, माँ दुर्गा की कुछ ऐसी रहे सभी पर दया दृष्टि। ।