तुम
तुम
आइना देख के बार बार मंद-मंद मुस्काते हो इठलाते हो इतराते हो ,
कुछ ऐसे अनुपम अंदाज़ में अपने पर प्यार बरसाते हो।
हाँ तुम अनमोल हो अनोखे हो , इस बात को समझते और समझाते हो,
कुछ कमियां भले ही हों तुम में , पर कम ना हो किसी से इस बात का एहसास सहसा ही कराते हो।
सबकी अच्छाईयां ढूंढ कर खुद के व्यक्तित्व में भी ढाल जाते हो ,
कुछ ऐसे अनुपम अंदाज़ में खट्टे और मीठे गुणों का मिश्रण अपने चरित्र में भी प्रवाहित कर जाते हो।
सुना है आसमान की ओर अडिग नज़रें रहती हैं प्रति पल तुम्हारी,
शायद बुलंदी की ऊंचाइयों तक पहुँचने के ख्वाब सजाते हो,
दुनिया बहुत बड़ी है पर उस से भी बड़ी तुम्हारे ख़्वाबों की दुनिया है ,
उसे पाने की चेष्टा करे जाते हो।
खुद पर गरूर बहुत है तुम्हें ,क्यों न हो ,एक अनोखे सांचे से गठित तुम एक अनुपमेय हस्ती हो ,
इस गुरूर को बरकरार रखते हुए अपने गुणों का बखान करते और करवाते हो।
अपने लिए तो सभी करते हैं , तुम दुनिया के हित के लिए भी आवाज़ उठाते हो ,
जिस समाज का तुम अभिन्न एक हिस्सा है , उसके प्रति अपनापन कुछ इस अंदाज़ में जताते हो।
रिवाज़ों और रिश्तों ने बाँधा है तुम्हें सदा ही ,उस संस्कृति को सप्रेम अपना कर अपना धर्म और कर्म निभाते हो ,
और कुछ ऐसे अनुपम अंदाज़ में एक ज़िम्मेदार और कर्तव्यपरायण नागरिक होने का उत्तरदायित्व निभाते हो।