एक छतरी बरसात में
एक छतरी बरसात में
मुझको वो दिन कभी न भुलाता
बरसात का मौसम है जब भी आता
कॉलेज से ट्रेनिंग के लिए गया मायानगरी
मुंबई सचमुच थी बिलकुल सपनों की नगरी
एक दिन ऑफिस से निकला हो रही बारिश
मुंबई की बारिश अक्सर कर देती है साजिश
एक लड़की छतरी लेकर बाहर को निकली
इसी के अन्दर आ जाओ, झट मुझसे वो बोली
मैं लखनऊ का बाशिंदा सकपका गया एकदम
एक छतरी, अनजान लड़की, कैसे फिट होंगे हम
खैर, देवी जी का आदेश था, मानना ही पड़ा
बस स्टैंड नजदीक के उसके संग जाना पड़ा
फिर तो रोज बात करने का चल पड़ा सिलसिला
ऑफिस था एक ही, अगले दिन ही पता चला
अब आगे न पूछियेगा, जरा प्राइवेट बात है
वही हुआ जिसके लिए, की जाती मुलाक़ात है।