अर्थ युग
अर्थ युग
यह अर्थ युग है , इस युग का अपना चरित्र है।
यहां रिश्तों से ज़्यादा अहमियत पैसों को मिलता है।।
रिश्तों की नक़ाब पहनकर सब हिमायती बन बैठें हैं।
परख़ में कोई कमी न होगी, लगता सब अपना है,
वक्त आने पर हकीक़त की आईना सबको दिख जाता है।।
ज़िन्दगी के अंतिम क्षण दर्शन ही काम आता है।
सब कुछ यहीं छोड़ आदमी अकेला चला जाता है।।
लेकिन होड़ है, यहां पैसे कमाने की।
लाशों की ढेर पर खुद की वजूद बनाने की।।
यहां मायने यह नहीं रखता, तुम कितने कर्म से अच्छे हो?
जितना बड़ा पद उतनी अभिमान पालने की।
यह अर्थ युग है, यहाँ आईना भी झूठ बोलता है।।